Monday, 28 November 2011

फिर?

फिर क्या,
शब्दो की व्यथा,
निरर्थक कथा;
अकेले खड़े
या, प्रांगन गढ़ा;
थिरकती कविता
कैसे बने;
जो कोई कहे,
कोई सुने
बीच कहीं,
नए रिश्ते बुने...

Saturday, 26 November 2011

योनिपथ (dedicated to Linga-Soni)

Original Photo by Garima Jain (Tehelka). Here an adapted image found online.

वृक्ष न हों खडें
ना जियें, ना लडें
ना आदि, ना वासी हो
विकास मरूभूमि में
लिंगम तू,
रहे समर्थ, रहे समर्थ, रहे समर्थ,
योनीपथ,योनिपथ, योनिपथ I

मेरी जमीन सा मेरा रंग;
मेरी मिटटी सा मेरा तन;
सत्ता के रास में
मांग मत, मांग मत, मांग मत,
छीन ले
योनिपथ, योनिपथ, योनिपथ I

कंपनियों के मुकाम पर
आवाम को कर बलि
विकास की राह पर
तू ना थमेगा कभी,
तू ना मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
योनिपथ, योनिपथ, योनिपथ I

हरवंश तुम कह गए,
"यह महान द्रश्य है
चल रहा मनुष्य है
अश्रु स्वेद रक्त से
लथपथ, लथपथ, लथपथ"
योनिपथ, योनिपथ, योनिपथ I

Thursday, 24 November 2011

सिरा

अब ऐसा क्यूँ होता है,
बातें तभी शुरू होती हैं
जब तुम करना चाहते हो,
ऊन की गेंद जैसे;
एक सिरा तुम मेरी तरफ उछालते हो
क्या तुम नहीं जानते,
सिरे जब खुलने लगते है;
तो साथ जोड़े तो रखते है
बांधते नहीं;
शायद तुम सोचते होंगे,
कि दूसरा सिरा मेरे पास है,
मैं भी ऐसा ही सोचती हूँ
शायद दूसरा सिरा तुम्हारे पास हो....

Thursday, 10 November 2011

nightmares and dreams

you were there
today,
weren't you?
when i walked past you at Trafalgar
banner in one hand
screams-'toris you must go'
the girl in blue pants tweeted on her blackberry
'come join us, for this is our story'
some played drums, others violin;
gliding gloriously, all of us in unison;
it was then that u turned;
as if; you were in a hurry;
as if; the ground beneath you was slippery;
and you wanted to take everyone into
the labyrinthine St' Paul's
choppers swirled by
you told us what occupation means
in the Westminster walls
i was right there;
behind you;
awaiting you to turn again,
for you to say once more;
'white paper- catch it, bin it, kill it'
to hold your eyes with mine;
and to tell you to count me in all your schemes,
for their nightmares are our dreams.

source: http://www.flickr.com/groups/student-protest-posters-and-placards/pool/show/


गुफ्तगू

अभी अभी समझा, कि ;
अक्सर जिंदगी
गलियारों में ही;
कट जाती है,
इसलिए;
और कुछ न कहेंगे;
चुप रहेंगे,
फिर से;
मुल्तानी तख्ती पर
नए रंग भरेंगे,
पहली पहचान हो जैसे;
अपनी हस्ती से हम, अब;
गुफ्तगू करेंगे |

Sunday, 6 November 2011

बात ही बात में...

दिन की और रात की;
रात की बात की;
बात ही बात में;
रात भी काट दी;
काट के पार थी;
आरजू की चांदनी;
फिर सुबह और शाम थी;
शाम की तो बात थी,
जब शमा जल उठी;
जल के यूँ पिघल उठी;
जैसे कोई जाम हो,
जाम की संगीनियाँ;
धडकनों में आम हो,
बन के दिन रात ही;
चांदनी भी ढल गई;
तुम वहीं थे, बस वहीं;
वहीं, जहाँ यकीन था;
कभी तो होगी बात भी;
दिन की और रात की;
बात ही बात में;
शाम ये भी काट दी...

Saturday, 5 November 2011

clip it!

she walked in,
cautious steps;
one at a time;
tears paused
on her lips; as
she looked at me;
and we smiled,
you know,
the unsaid code;
I-am-here-to-share-yet-another-episode.
she pointed at the orchid
'shouldn't you clip it?'
why?
'to tame it a bit'
does that help?
she looked away,
it's ok. love bites and bruises, i say.
'No. just clip it'
why ?
'to hold it tight and sturdy'
really?
she sighed,
''no wonder, you are single and thirty!'