Original Photo by Garima Jain (Tehelka). Here an adapted image found online. |
वृक्ष न हों खडें
ना जियें, ना लडें
ना आदि, ना वासी हो
विकास मरूभूमि में
लिंगम तू,
रहे समर्थ, रहे समर्थ, रहे समर्थ,
योनीपथ,योनिपथ, योनिपथ I
मेरी जमीन सा मेरा रंग;
मेरी मिटटी सा मेरा तन;
सत्ता के रास में
मांग मत, मांग मत, मांग मत,
छीन ले
योनिपथ, योनिपथ, योनिपथ I
कंपनियों के मुकाम पर
आवाम को कर बलि
विकास की राह पर
तू ना थमेगा कभी,
तू ना मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
योनिपथ, योनिपथ, योनिपथ I
हरवंश तुम कह गए,
"यह महान द्रश्य है
चल रहा मनुष्य है
अश्रु स्वेद रक्त से
लथपथ, लथपथ, लथपथ"
योनिपथ, योनिपथ, योनिपथ I
4 comments:
nice one
A great tribute to one of the most valiant women of our times that also is a searing critique of the deeply patriarchal nature of our State system.
Thanks Chirag.
And Rahul your own work is no less inspiring. I am glad you found my blog.
बहुत खूब लिखते हो आप दी, वाकई में काबिले तारीफ है। आज पहली बार पढा और पढ़कर मन मग्न हो गया।
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