ये वो पहर है,
जब कोहरा पुकारता,
कुछ नयी है छूहन,
कुछ कहीं छूटता,
दम बा दम क्या कहें;
सूरजमुखी सा चाँद है,
हर पहल में छुपी,
एक सुबह,एक शाम है...
जब कोहरा पुकारता,
कुछ नयी है छूहन,
कुछ कहीं छूटता,
दम बा दम क्या कहें;
सूरजमुखी सा चाँद है,
हर पहल में छुपी,
एक सुबह,एक शाम है...
No comments:
Post a Comment