Friday, 23 December 2011

क्या होता है

बेखबर रात का
ओस में ढल जाना
ज़र्र ज़र्र करती हवा का
उन्नींदा पालने को हिलाना
आलसी आँखों का खुलना
और उस बूढी माई को सामने पाना
जिसने नर्मदा घाटी में
टकटकी बाँध कहा था
गाँव से मत जाना
क्या होता है
?

1 comment:

Anand jha said...

kafi dino bad bikul naye dhang se wo baat suni. bahot umda, kya likha hai dost