बेखबर रात का
ओस में ढल जाना
ज़र्र ज़र्र करती हवा का
उन्नींदा पालने को हिलाना
आलसी आँखों का खुलना
और उस बूढी माई को सामने पाना
जिसने नर्मदा घाटी में
टकटकी बाँध कहा था
गाँव से मत जाना
क्या होता है
?
ओस में ढल जाना
ज़र्र ज़र्र करती हवा का
उन्नींदा पालने को हिलाना
आलसी आँखों का खुलना
और उस बूढी माई को सामने पाना
जिसने नर्मदा घाटी में
टकटकी बाँध कहा था
गाँव से मत जाना
क्या होता है
?
1 comment:
kafi dino bad bikul naye dhang se wo baat suni. bahot umda, kya likha hai dost
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