वो अकबर गुज़र गये,
जो अनारकली को दिवारों में चुनवा
तख्तनशीं रहे।
पर अनारकली के गीत,
दुर्गा की हुँकार का
वक़्त नही गुज़रता।
गवाह? अजी मेरी ज़मीं
- अच्छे दिन, ओछी हरकत
का बयानामा यहीं।
फिर ना कहना किसी ने समझाया नहीं
रेत, ग़ारा, ईंट लाते तुम्हे
मिट्टी-पलीत होने का मंज़र
दिखाया नहीं।
जो अनारकली को दिवारों में चुनवा
तख्तनशीं रहे।
पर अनारकली के गीत,
दुर्गा की हुँकार का
वक़्त नही गुज़रता।
गवाह? अजी मेरी ज़मीं
- अच्छे दिन, ओछी हरकत
का बयानामा यहीं।
फिर ना कहना किसी ने समझाया नहीं
रेत, ग़ारा, ईंट लाते तुम्हे
मिट्टी-पलीत होने का मंज़र
दिखाया नहीं।