थक चुकी हूँ मैं
इस इंतजारी में,
और तुम?
कि बने बेहतर,
खूबसूरत और मेहरबां दुनिया?
चलो चाकू ले,
बींच चीर दे दुनिया
देखें, चमडी खा रहे हैं,
कौन से कीड़े, दुनिया
धुमैली है
नीली नदी
सुबह और शाम सतत।
धुमैला प्रकाश बिछा
भोर और सांझ पर्यंत।
रात में जगी, सोचती हूं,
मुझमें अभी ये शांति
शुरआत है कि अंत।
Hindi Trans of Jack Gilbert's Waking at Night
मुझे अभी भी लगता है,