Saturday, 24 December 2022

रात जगे

धुमैली है
नीली नदी
सुबह और शाम सतत।
धुमैला प्रकाश बिछा
भोर और सांझ पर्यंत।
रात में जगी, सोचती हूं,
मुझमें अभी ये शांति
शुरआत है कि अंत।

Hindi Trans of Jack Gilbert's Waking at Night

No comments: