Tuesday, 16 August 2022

हल्की बूंदाबांदी

दिनभर सितारे देखतें हैं दूर से
माँ बोली अब चलती हूं
तुम तन्हा हुई तो भी सब ठीक होगा
तुम्हे पता हो या नही तुम्हे पता होगा
बूढ़े घर को सुबह बारिश में देखना
फूल पानी ही तो हैं
सफेद बादलों से उन्हे जगाता सूरज
पहाड़ी पैबेंदकारी को चूमते
परवर्ती जीवन के धुले रंग
जो यहां थे तुम्हारे होने से बहुत पहले
जलती हुई दुनिया में भी 
देखो जागते हैं वो निसंदेह
(Hindi Trans of W.K Merwin's Rain Light)

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