तुतलाती हुई
जो लब पर आकर रुके ना
जो तब और अब की
देहलीज़ पर, खड़ी सोचती न रहे;
न पड़े इन झंझटो के बीच
की; अब हम आपके हैं कौन ?
उलझनों में जो,
बिना सर पैर के मचले एक बार फिर
और; थोड़ी अंगडाई लिए
साथ उड़ान के नए अंजुमन करें दाख़िल,
पुराने हर सिलसिले से परे;
चलो, अब कुछ और बात करें...
जो लब पर आकर रुके ना
जो तब और अब की
देहलीज़ पर, खड़ी सोचती न रहे;
न पड़े इन झंझटो के बीच
की; अब हम आपके हैं कौन ?
उलझनों में जो,
बिना सर पैर के मचले एक बार फिर
और; थोड़ी अंगडाई लिए
साथ उड़ान के नए अंजुमन करें दाख़िल,
पुराने हर सिलसिले से परे;
चलो, अब कुछ और बात करें...
4 comments:
nice one shalini
kam shabdo m bahut kuch kaha
kahna to bahut tha mujhe bhi
par chalo kuch aur bat kare
bahot badhiya....the recent ones have all turned out awesome
gorgeous.
Suggest changes when you find time? Again, lovely one.
That which, fumbling,
is not held back at the lips,
which does not stay behind
an' think, which tips
over the threshold of then
and now, perhaps that's how
we could talk, that which
does not trouble itself with
what I could be to you.
That which, distracted,
plays once again without a care,
that which, taking the dare,
stretches for a flight, looks for
new gathering spots in the
night, beyond all this past,
come, let's talk of other things.
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