Saturday, 9 June 2012

पैमाने

आज की रात के बहाने बहुत, हमारी सुबह के ठिकाने बहुत ।
था ख़ास दरमियाँ कुछ भी नहीं,पर मदहोशियो के सिरहाने बहुत ।।

चंद लफ़ज़ो को पलको पे उठाये, देखे तुम्हारे नजराने बहुत।
तुम्ही में संजोये गलियारे बहुत, तुम्ही में खोये चौबारे बहुत ।।

किसी से तुम्हारी शिकायतें बहुत, तुम से हमारी ख्वाहिशें बहुत ।
ऐसे बने अपने फ़साने बहुत, खामोशियो की ज़बाने बहुत ।।

बा मकसद दिल्लगी के निशाने बहुत, यूँ तो आये हमें भी समझाने बहुत ।
पर दिल्लगो में इत्तेफाकी बहुत, और दिल की लगी की मिसाले बहुत ।।

महफूज़ थी जो परछाई बहुत, तफसील से आज बतायी बहुत ।
तुम्हे प्यारे तुम्हारे माझी बहुत, हमारी उमीदें रूमानी बहुत ।।

हासिल सभी को मयखाने बहुत, हमारे-तुम्हारे पैमाने बहुत ।
आज की रात के बहाने बहुत, हमारी सुबह के ठिकाने बहुत ।।


2 comments:

Ajay Sharma said...

बहुत खूब,जितनी तारीफ की जाये कम है..

Neeraj Bhushan said...

beautiful n pure