tr. from Harekrishna Deka's English Poem 'Silence'
दो लोगों के बीच ख़ामोशी हो सकती है
पर ख़ामोशी भी ज़बान है
और बोलती है जब लफ्ज़ बेजुबान हों।
ये निजी है,
जबकि लफ्ज़ आम।
ये लगातार बढ़ सकती है।
पहाड़ की चोटी में तब्दील होती
एक खामोश-घाटी।
(thanks to Harekrishna Deka for sharing this poem)
दो लोगों के बीच ख़ामोशी हो सकती है
पर ख़ामोशी भी ज़बान है
और बोलती है जब लफ्ज़ बेजुबान हों।
ये निजी है,
जबकि लफ्ज़ आम।
ये लगातार बढ़ सकती है।
पहाड़ की चोटी में तब्दील होती
एक खामोश-घाटी।
(thanks to Harekrishna Deka for sharing this poem)
2 comments:
kabhi kabhi jaban se jyada khamoshi kaam karati hai.
sunder rachana
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